शेर कहना आज कल , आप यूँ समझिये की बस ग़ालिब मोमिन फैज़ , फिराक , साहिर , बदायुनी , गुलजार , इनको चैलेंज करना होगा ....आइडियल गैस के फार्मूला के जैसे नही हैं इनके शेर की एक्सिस्ट ही ना करे , ये आइडियल पे खरे उतरते हैं , बाकि जो लिखते है वो एब्नार्मल .....................
कोई पैमाना बनाया जाता गर मौसम की एन्ट्रापी मापने का , तो आज मैक्सिमम डेविएशन दिखाता नार्मल सिचुएशन से
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चार बजे कालेज जाना है , हाँ शाम के चार बजे , इग्नू सेंटर चार बजे ही खुलता है ,
धुप जबरदस्त है , पेडो की पत्तियां बेचारी दीवाली के फूटे हुए अनार की भांति झुलसी दिख रही हैं ...जबरदस्ती जमीन अपनी एपिडर्मिस को उड़ा कर के घरो में घुसा रही है , हवा उस के साथ वफ़ा कर रही है ,क्या जुगल बंदी के साथ काम कर रही है , एक बार फिर मैं बोलूँगा के मौसम बता रहा है की हाँ वो है
कमरे से बार निकलते ही ऐसा दृश्य देख के मेरे मन में वैसा ही रोस हुआ है जैसा पेट्रोल के दाम अचानक बढ़ने से , मकान मालिक के टाइम से पहले किराया मांगने से ,या किसी तथाकथित ब्राह्मण को स्वयं के मांसाहारी बताने से उसके मन में उद्वेलित होता है ...
लेकिन जब तक खुद को धुप की भाव भंगिमा और लू की वफाई से बचाने के लिए फिदआयनी चोला ईजाद किया , तब तक अमरीश पूरी टाइप कुछ तीन ओर से आये बादलो ने मनो धुप और हवा की रास लीला में विघ्न डालने की ठान ली है
अपनी दुपहिया बहार निकलने में वैसा ही सुकून मिल रहा है , जैसा शेरपा तेंन्जिंग को एवेरेस्ट पे चढ़ने में मिला होगा ,
बगल की चाय की दुकान में मुकेश का गाना बज रहा है , कोई सुन नही रहा है शायद , बस बजे जा रहा है सब मौसम की बात कर रहे हैं , मेरा विस्वास था की बारिश मेरे कालेज पहुचने से पहले नही होगी .......
आसमान का बस अब एक टुकड़ा ही दिख रहा है चारो और बदलो से घिरा हुआ , पत्तियों में जूनून आ गया है , हेलमेट के शीशे से नफरत कर रही है हवाए शायद , बड़ी जोर का थपेड़ा मार रही हैं
और बस ईअरफ़ोन पे अगला गाना जगजीत सिंह का आने ही वाला था की शुरू हो गयी ,
जोरो से बारिश शुरू हो गयी , प्रिंसिपल से मिलना ना होता तो जरुर भीगता , पास के ATM पे रुक गया हूँ ,
एक लड़का बाइक पे लगभग भीगा है , एक लड़की भी है उसके साथ , भीगने के बावजूद बचने की कोसिस क्यों कर रहे हैं पता नही , शायद इसलिए क्युकी लड़की साथ में होने पर सोचने की क्षमता कुछ कम हो जाती है ,डिसिशन मेकिंग में पानी फिरने लगता है , लड़का समझता है लड़की उस पर उसी तरह ध्यान दे रही होगी जैसे कमेंटेटर क्रिकेट में हर बाल पे देते हैं जितना ध्यान तो खुद बॉलर या बैट्समैन ने नही दिया होगा
सिक्यूरिटी गार्ड ने कमेंट दे ही मारा दोनों पे ,उनके घर वालो को भी लपेट लिया अपने गुर्रिल्ला वारफेयर(एटीएम रूम के अन्दर से बैठ के कमेंट जो मार रहा था , मैं बी अन्दर ही था ) में ...
जबरदस्त बारिश है , हर एक पट्टी का इत्तेफाक दिख रहा है बारिश से मनो ख़ुशी के आंसू हो...
एक डाली लरज कर सड़क पे बहते पानी से तार्रुफ़ में लगी है ,कुछ पेड़ उभयचर बन गये हैं , उनका आधा शरीर पानी में हैं , सामने में कोई फूल वाला पेड़ है , जबरदस्त नूर टपक रहा है उससे ,
प्राकृतिक सौन्दर्य का कुछ ही समय नजारा किया होगा की एक बुलेट गाड़ी की आवाज आई और सामने में एक शख्स जिनसे मैं कॉलेज के दिनों में मिला करता था दिख गये , मैंने आवाज दे के बुला लिया , बारिश तेज़ हो चुकी थी तो उनको बहाना भी नही मिला रोकने का .....
आते ही मियां शायराना अंदाज़ में बोले , "एटीएम बॉक्स में , आज रुपाओ की छाओं में मुए मौसम का लुत्फ़ लिया जा रहा है "
अरे आइये साब आप जैसा ही कोई चहिये था यहाँ , इंतज़ार करना किसे अच्छा लगता है , आज मियां मिश्रा जी की रिक्वेस्ट पे कुछ सुना दीजिये
बड़ा सुक्कून था , चाय होती तो मजा आ जाता ,
महफ़िल जैम गयी है , दोनो मैं और शकील मियां , वो लड़का जो लड़की के साथ था और सिक्यूरिटी गार्ड ,
कुछ आज की , कुछ कल की , कुछ कल के लिए आज की , कुछ आज के लिए कल की बाते ,
कुछ कटाक्ष , कुछ सारांश , कुछ राजनीती , कुछ गलत कुछ सही , कुछ किताबी कुछ गुलाबी , कुछ फिरकी , कुछ फैजी , कुछ साहिरी , कुछ गुलजारी ,
बारिश रुकने में अभी वक़्त है .........देखते हैं .........
............................. आगे